Friday, November 16, 2018

वैदिक जीवन पद्धति अपनाकर ही जीवन कल्याण संभव: स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती


By Samachar Digital News
Chandigarh 16th November:- आर्य समाज सेक्टर 7 की में वार्षिक उत्सव के दौरान स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती जी ने प्रवचन के दौरान कहा कि यह सारा संसार परमात्मा की व्यवस्था में कार्य करता है।  दुनिया में विचार से समस्या का समाधान हुआ है उससे भिन्न-भिन्न मत बन गए। परमात्मा की बनाई गई सृष्टि का उद्देश्य पुरुषार्थ करके सफलता हासिल करना है।  आज मनुष्य अपने कर्तव्य की चिंता की बजाय दूसरों के सुखों की ज्यादा चिंता करते हैं।  जब किसी को अच्छी बातें बुरी लगनी  लगे और बुरी बातें अच्छी लगे तो समझ लेना चाहिए कि वह पाप मार्ग पर चल रहा है।  ऐसा व्यक्ति सत्संगस्वाध्यायगायत्री और ओम जाप से दूर हो जाता है।  प्रकाश में आने वाला व्यक्ति ही  मोह भाव से ऊपर उठ सकता है।
स्वामी जी ने कहा कि  प्रकाश का हमेशा सम्मान होता है। संसार में तीन प्रकार के होते हैं। एक व्यक्ति जो दीपक को बुझाते हैं वे निम्न श्रेणी के लोग हैं।  दूसरे व्यक्ति वे जो दीपक से केवल लाभ उठाते हैं वे स्वार्थी अर्थात मध्यम श्रेणी के हैं। तीसरी श्रेणी के व्यक्ति वे हैं जो दीपक में लगातार तेल डालते रहते हैं, वे उच्च कोटि के व्यक्ति होते हैं।  पापी दूसरों को अन्याय पूर्वक दुख देता है। परोपकार तो मन, वाणीकर्म और स्वभाव से किया जाता है।  ऐसा परोपकार पुण्य है। तीसरी श्रेणी के लोग ही परमात्मा के पुत्र हैं। जिन के पाप पुण्य के बराबर हैसाधारण मनुष्य हैं।  जिन मनुष्यों के पुण्य कम और पाप ज्यादा है वह पशु-पक्षी  और कीट पतंगे की श्रेणी में आते हैं।  जिनके पुण्य ज्यादा और पाप कम है वे देव योनि के हैं।  यदि कोई सच्चाई का विरोधी है तो वह अंधकार फैलाने वाला है। वैदिक  जीवन पद्धति अपनाकर ही जीवन कल्याण हो सकता है। कार्यक्रम से पूर्व  भजन उपदेशक  रामपाल आर्य ने मधुर भजनों से  उपस्थित लोगों को आत्मविभोर कर दिया।  इस मौके पर काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।

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