By Samachar Digital News
Chandigarh, 10th Jan
2020:-
यू एफ ओ डिजिटल
मीडिया
और
उसकी
सिस्टर
कंसर्न
स्क्रैबल
क्षेत्रीय
भाषाओं
के
साथ
भेदभाव
करती
है।
इनसे
थिएटर
में
लगवाने
के
चार्जेज
तो
ले
लेती
है,
पर
फ़िल्म
को
निर्धारित
समय
पर
न
लगा
कर
2-3 दिन
बाद
सिनेमा
हॉल
में
लगवाती
है।
इससे
प्रोडक्शन
हाउस
को
न
केवल
आर्थिक
नुकसान
होता
है,
बल्कि
उसे
मानसिक
नुकसान
भी
उठाना
पड़ता
है।
यह
कहना
है
फ़िल्म
प्रोड्यूसर
संजय
मठारू
और
किंग्ज़ी
छाछी
एवम
डायरेक्टर
हरप्रीत
मठारू
और
फ़िल्म
के
हीरो
और
पंजाबी
सिंगर
इंदरजीत
निक्कू
का।
पंजाबी मूवी जान
तो
प्यारा
की
स्टार
कास्ट
और
प्रोडक्शन
टीम
ने
आज
एक
प्रेस
कॉन्फ्रेंस
के
दौरान
यू
एफ
ओ
डिजिटल
मीडिया
और
उसकी
सिस्टर
कंसर्न
स्क्रैबल
पर
आरोप
लगाते
हुए
कहा
कि
इनके
साथ
उनकी
फिल्म
को
03 जनवरी
2020 को
सिनेमाघर
में
लगवाने
के
एग्रीमेंट
हुआ
था
।लेकिन
यू
एफ
ओ
ने
निर्धारित
दिन
और
समय
पर
फ़िल्म
न
लगवा
कर
इसे
01 दिन
बाद
सिनेमाघरों
में
लगवाया।जबकि
के
सेरा
ई
सिटी
और
क्यूब
पर
ये
04 जनवरी
को
रिलीज
हुई
थी।लेकिन
इनके
पी
वी
आर
और
अन्य
प्लेटफार्म
पर
ये
05 जनवरी
को
रिलीज
हुई।
जिससे
प्रोडक्शन
हाउस
को
देर
से
रिलीज
होने
पर
आर्थिक
नुकसान
उठाना
पड़ा।
फ़िल्म
के
हीरो
विख्यात
पंजाबी
गायक
इंदरजीत
निक्कू
ने
कहा
कि
ये
मीडिया
हाउस
पहले
भी
कई
बार
ऐसा
कर
चुका
है।
ये
बड़े
बैनर
और
बड़े
बजट
की
फ़िल्म
को
तरजीह
देते
है,
उन्हें
12-13 शो
दे
दिए
जाते
है।
जबकि
क्षेत्रीय
छोटे
बजट
और
नई
स्टारकास्ट
की
फ़िल्म
के
साथ
भेदभाव
करते
हुए
इन्हें
सिनेमाघरों
में
लगवाने
के
लिए
आनाकानी
करते
है।
फ़िल्म के प्रोड्यूसर
संजय
मठारू
ने
कहा
कि
इनके
द्वारा
छोटे
बजट
की
फिल्मो
को
सिंगल
स्क्रीन
थिएटर
में
लगवा
दिया
जाता
है,
जबकि
मल्टीप्लेक्स
में
उन्हें
जगह
ही
नही
दी
जाती
।
जबकि ये मीडिया
हाउस
चार्जेज
उनके
बराबर
ही
लेते
है।
तो
फिर
ऐसा
भेदभाव
क्यों।
उन्होंने
अपने
साथ
हुए
इस
धोखे
और
धक्के
को
लेकर
जब
यू
एफ
ओ
के
अधिकारियों
से
बात
की
तो
उन्होंने
उनकी
एक
न
सुनी।
जिससे
आहत
होकर
उन्होंने
मीडिया
का
सहारा
लेना
मुनासिब
समझा,
ताकि
क्षेत्रीय
भाषाओं
की
फिल्मों
के
साथ
हो
रहे
भेदभाव
को
उजागर
कर
उभरते
प्रोडक्शन
हाउस
को
आगाह
कर
सके,
और
इन्हें
सबक
सिखा
सके।
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