By Samachar Digital News
Chandigarh, 09th Jan
2020:- पटियाला रोड पर साहिब गुरुद्वारे के पास स्थित त्रिशला बिल्डटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को अपने एक ग्राहक को पॉजेशन लेटर समय पर ना देना काफी महंगा पड़ गया। स्टेट कंज्यूमर्स डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन ( एससीडीआरसी ) द्वारा बिल्डर को शिकायतकर्ता द्वारा जमा कराई गई सारी राशि 12% सालाना ब्याज के हिसाब से लौटाने के साथ-साथ जुर्माना व मानसिक तनाव देने के लिए मुआवजा व कानूनी खर्चे भी देने का आदेश दिया गया है।
प्राप्त विवरण के अनुसार त्रिशला बिल्डटेक (प्रा.) लि., जिसका पंजीकृत कार्यालय रोहिणी, नई दिल्ली के सेक्टर 8 में स्थित है व नाभा साहिब, जीरकपुर में हाई ग्राउंड रोड पर एवं चंडीगढ़ में सेक्टर 32 में भी इसके ब्रांच कार्यालय हैं, द्वारा बनाए जा रहे त्रिशला सिटी प्रोजेक्ट में शिकायतकर्ता से. 45, चण्डीगढ़ निवासी किरण कुमार कक्कड़ ने वर्ष 2012 में एक फ्लैट बुक किया जिसके लिए उन्हें 42,20,000 रु. व पार्क फेसिंग फ्लैट के लिए पीएलसी चार्जेस के तौर पर 2,00,000 रु. की कुल लागत बताई गई। बात जम जाने पर किरण कक्कड़ ने 8,00,000 रु. बुकिंग अमाउंट के तौर पर जमा कर दिए व दोनों में एग्रीमेंट हो गया। एग्रीमेंट की शर्तों के मुताबिक फ्लैट का पॉजेशन एग्रीमेंट की तिथि से 3 वर्ष के भीतर दिया जाना था परंतु बिल्डर द्वारा टालमटोल की जाने लगी, हालांकि किरण कक्कड़ ने समयबद्ध तरीके से सारी राशि भर दी थी। किरण कक्कड़ ने ये भी पाया कि जिस पार्क फेसिंग फ्लैट के लिए उन्होंने 2 लाख रुपए का अतिरिक्त भुगतान किया था वो महज एक बिल्कुल छोटा सा पार्क है। इसके अलावा उनके द्वारा सारा भुगतान कर दिए जाने के बाद उनसे 1,91,235 रूपए की राशि की और मांग की गई, पर इसके बारे में बिल्डर द्वारा उन्हें कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया, बार-बार मांगे जाने के बावजूद। अंतत कक्कड़ ने ये राशि भी भी उन्हें दे दी।
इतने सबके बाद भी बिल्डर ने उन्हें पजेशन लेटर नहीं दिया तो तंग आकर के के कक्कड़ ने 28 मई 2019 को एससीडीआरसी का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने बिल्डर पर 24% सालाना ब्याज के साथ भुगतान की गई पूरी राशि के साथ-साथ पजेशन देने में देरी के लिए पेनाल्टी के तौर पर 84,254 रूपए देने, मेंटल हैरासमेंट के लिए 4,00,000 रुपए व लीगल एक्सपेंडिचर के लिए 40,000 रुपए दिलाने कि मांग की।
कमीशन की पदासीन सदस्य सुश्री किरण सिब्बल ने सारे मामले की पड़ताल की व दोनों पक्षों के तर्क-वितर्क सुनने के बाद बिल्डर को दोषी पाया। उन्होंने शिकायतकर्ता केके कक्कड़ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बिल्डर पर 12% सालाना ब्याज के साथ 43,08,325 रुपए की भुगतान की गई पूरी राशि के साथ-साथ पजेशन देने में देरी के लिए पेनाल्टी, मेंटल हैरासमेंट व लीगल एक्सपेंडिचर के लिए 55,000 रुपए का भुगतान शिकायतकर्ता को करने के आदेश जारी कर दिए।
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