Chandigarh, Oct.29, 2021:- त्योहारों के इस सीजन की शुरुआत के साथ, इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई.), जो प्रीमियम एल्कोबेव सेक्टर की एक शीर्ष संस्था है, ने अवैध व नकली शराब के व्यापर को रोकने के लिए राज्य सरकार से सख्त जाँच और प्रवर्तन का आग्रह किया। इस एसोसिएशन ने राज्य में एल्कोबेव व्यवसाय के लिए संतुलित, व्यावहारिक और पारदर्शी दृष्टिकोण पर जोर दिया ताकि जिम्मेदार खपत को बढ़ावा दिया जा सके और राज्य में आर्थिक अवसरों का निर्माण किया जा सके।
पंजाब में वर्ष 2020 के दौरान अवैध और नकली शराब के सेवन से कई मौतें हुई हैं। अवैध या नकली शराब के सेवन से न केवल राज्य के नागरिकों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, बल्कि सरकारों की कानूनी रूप से उत्पादित शराब पर कर लगाने और नियंत्रित करने की क्षमता भी बाधित होती है।
पंजाब सरकार के प्रवर्तन उपायों और प्रगतिशील शराब नीति की सराहना करते हुए, आई.एस.डब्ल्यू.ए.आई. की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, नीता कपूर ने कहा कि आई.एस.डब्ल्यू.ए.आई. नकली शराब बाजार की जांच के लिए कड़े प्रवर्तन उपायों को लागू करने और उत्पाद शुल्क में बदलाव लाने हेतु राज्य सरकार की साहसिक पहल की सराहना करती है और उसका समर्थन करती है। नीता कपूर ने आगे कहा कि हम राज्य सरकार से एक परामर्शी और प्रगतिशील नीति-निर्माण का आग्रह करते हैं ताकि जिम्मेदार खपत और व्यवसाय करने को सुविधाजनक बनाया जा सके। आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई. को इस अभ्यास में पंजाब सरकार के साथ जुड़ने और भागीदारी करने में बहुत खुशी होगी।
राज्य में अनौपचारिक शराब के बाजार को नियंत्रित करने के लिए 3ई फ्रेमवर्क पर प्रकाश डालते हुए, सुश्री नीता कपूर ने आबकारी कर कार्यान्वयन (जिसे शराब की तस्करी के प्रोत्साहन को रोकने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है) तैयार करके दीर्घकालिक समाधान पर जोर दिया जो एक जिम्मेदार खपत की संस्कृति का निर्माण करके प्रभावी प्रवर्तन तंत्र और आवश्यक शिक्षा में योगदान देगा।
अवैध और नकली शराब के कारोबार से राज्य की आमदनी को नुकसान होता है। सामान्य अनुमान के अनुसार और बाजार की रिपोर्टों के आधार पर, वर्ष 2019-20 में, अवैध और नकली शराब के व्यापार के कारण राज्य की आमदन को देशी शराब से लगभग 55 करोड़ रुपये और भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आई.एम.एफ.एल.) से लगभग 355 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पंजाब के तीन जिलों अर्थात् तरनतारन, अमृतसर ग्रामीण और गुरदासपुर में जहरीली शराब की त्रासदी के बाद राज्य सरकार ने अवैध शराब व्यापार और उत्पाद शुल्क से संबंधित अपराधों को रोकने के लिए ष्ऑपरेशन रेड रोज़श् जैसे कई सख्त प्रवर्तन उपाय किए और इसके साथ ही सटीक ट्रैकिंग सिस्टम और प्रशासनिक समन्वय ने भी अवैध रूप से शराब बनाने, शराब की तस्करी और नकली शराब के व्यापार को रोकने में मदद की। लेकिन राज्य में अनौपचारिक शराब बाजार के खतरे को कम करने के लिए सख्त जाँच और उपायों को नियंत्रित करने की जरूरत है।
आई.एस.डब्ल्यू.ऐ.आई. के महासचिव सुरेश मेनन ने कहा कि हमने पंजाब राज्य में एल्कोबेव सेक्टर की तीन व्यापक समस्याओं को देखा है जिनमें मुख्य रूप से अवैध, नकली शराब और इसका व्यापार शामिल हैं। इससे न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि राज्य की आमदन में भी नुकसान होता है।
मेनन ने आगे कहा कि ष्प्रीमियम ब्रांडेड बोतलों में नकली उत्पाद बेचने वाले न केवल उपभोक्ताओं के लिए जोखिम पैदा करते हैं, बल्कि ब्रांड की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाते हैं, कंपनियों द्वारा भविष्य के निवेश को प्रतिबंधित करते हैं और कानूनी बिक्री को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए, शराब के अवैध उत्पादन, बिक्री और वितरण को समाप्त करने के साथ-साथ अनौपचारिक शराब को रोकने के लिए नीतियों को अपनाना और लागू करना राज्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
भारतीय रिजर्व बैंक (श्राज्य वित्तः 2019-20 के बजट का एक अध्ययनश्) द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चलता है कि शराब पर राज्य उत्पाद शुल्क अधिकांश राज्यों के स्वयं की कर आमदन का लगभग 10-15 प्रतिशत है। आर.बी.आई. की रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, राज्य सरकारों ने वित्तीय वर्ष 2020 में उत्पाद शुल्क से लगभग 1.75 ट्रिलियन रुपये की आमदन हासिल की थी, जिनमें से अधिकांश कमाई शराब की बिक्री से हुई थी। पंजाब में एल्कोबेव से आमदन का हिस्सा इसकी अपनी कर आमदन (6,200 करोड़ रुपये) का 16.5 फीसदी था।
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