By Samachar Digital News
Chandigarh 18th
May:- चंडीगढ़ की गरीबों को पुन: बसाने वाली बहुचर्चित स्कीम स्माल फ्लैट अंडर स्माल फ्लैट स्कीम 2006 को आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती मिल गई है। ये चुनौती धनास के रहने वाले रजिंद्र कुमार तथा अन्य ने चंडीगढ़ प्रशासन एवं अन्य के खिलाफ डायरी न. 2670759, सी आई एस सी एन आर न. पी एच एच सी 010649662019 के तहत फाइल केस में दी है। इस मामले में पेटीशनर ने कहा है कि चंडीगढ़ प्रशासन एवं अन्यों ने गरीब झुग्गी झोंपड़ी वालों को धनास में जो 8 हजार से ज्यादा फ्लैट बना कर दिये हैं वे 20 वर्षों के लिए जिन शर्तों पर इन्हें किराये पर दिये गये थे वे शर्तें पूर्णत: इकतरफा शर्तें हैं। उन्होंने कहा है कि प्रशासन ने गरीबों को उक्त फ्लैट 20 सालों के लिए मासिक किराए पर दिये हैं, 20 वर्षों के बाद इन गरीबों का क्या होगा यह कोई नहीं जानता। इतना ही नहीं जबकि पूरे शहर में फ्लैटों की कीमत ग्राउंड फ्लोर पर सबसे ज्यादा, फ्सर्ट पर कम और उसके ऊपर क्रमानुसार कम रखी जाती है मगर यहां इन फ्लैटों में सारी फ्लोरों का किराया जानबूझकर एक ही रखा गया है जो गरीबों के साथ ज्यादती नहीं तो और क्या है। यह भेदभाव उन्हें कतई बर्दाश्त नहीं है।
गौरतलब है कि इस स्कीम की शर्तों को चुनौती देने वालों में 50 के करीब विभिन्न पेटीशनर्ज़ हैं जो इसी धनास के रहने वाले हैं। याद रहे उक्त स्कीम को तत्कालीन कांग्रेस पार्टी की मनमोहन सरकार ने लागू करवाया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तत्कालीन नगर सांसद पवन कुमार बंसल की मौजूदगी में स्वयं कालोनी न. 5 की झुग्गीयों से उठे गरीबों को 162.5 एकड़ भूमि पर निर्मित 8,448 फ्लैटों की चाबियां सौंपी थीं। जिसकी कांग्रेस पार्टी ने खूब वाहवाही भी लूटी थी।
दूसरी ओर पेटीशनर राजिंदर कुमार ने बताया कि उन्होंने उक्त मुद्दा रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया के मौजूदा एम.पी.के चुनावों में खड़े प्रत्याशी एवं जाने माने समाज सेवक श्री सुभाष चंद्र गोयल जी के सामने भी उठाया था जिन्होंने भी इस मुद्दे पर कालोनी वासियों की भरपूर मदद करने का भरोसा भी दिलाया था।
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